Tuesday 29 November 2016

आशीर्वाद का महत्व....आइये हम पढ़े


ऋषि मुनियों ,विव्दानों तथा वरिष्ठ जनों का जीवन समष्टि के लिए समर्पित होता हैये परोपकारी , सह्रदय ,विनयशील एंव सत्यवादी होते हैंउनके वचनों में इतना बल होता है कि उनके वचन के अनुसार ही कार्य में सफलता मिल जाती हैउनके इस कथन एंव संकेत  मात्र को ही आशीर्वाद कहते हैं वे अपने ज्ञान एंव अनुभव के आधार पर ही आशीर्वाद प्रदान करते हैंऐसे महानुभावों द्वारा सर पर हाथ रखने से सहज ही विश्वास हो जाता हैइससे आशीर्वाद प्राप्त करने वाले व्यक्ति को प्रोत्साहन ,आत्म बल तथा उर्जा का संरक्षण होता हैउसे अपनी राह पर आगे बढ़ने तथा मंजिल प्राप्त कर के अन्य मंजिल की योजना ,तैयार करने की इच्छा शक्ति पैदा होती हैआशीर्वाद देने वाले महापुरुष हैंमन और वचन से वे सबकी भलाई चाहते हैंउनको किसी से व्यक्तिगत लाभ नही उठाना हैंयही कारण है की उनका शक्तिशाली मस्तिष्क प्रबल विचार तरंगे प्रसारित करता हैवे सभी  के हित मे शुभकल्पना ही करते है| वे कल्पनाएँ कर्मठ व्यक्ति की लगन ,निष्ठा एंव परिश्रम के कारण फलीभूत होता है |
आशीर्वाद से मन की पवित्रता , शुभचिंतन के कारण व्यक्ति का मनोबल हढता के साथ बना रहता हैजिसका मन पवित्र विचारो के कारण अविभूत होगा / वह सर्वत्र प्रकाश ही प्रकाश प्रकाशित करेगाउसके आशा एंव विश्वास में सतत वृद्धि होती रहेगीआशीर्वाद पाकर हमारा अंत ह्रदय प्रसन्नता से ओत-प्रोत रहता हैहमारा सुप्त आत्म विश्वास जाग्रत हो जाता हैआशीर्वाद श्रम ,लगन ,निष्ठा एंव विनयशीलता के परिणाम स्वरूप ही प्राप्त होता हैविनाश से बचने के लिए अहंकार से दूर रहना अति आवश्यक हैअहंकार उभरने के लिए तन का सुंदर एंव शक्तिशाली होना एक कारण हो सकता हैमान, सम्मान , सुख ,सम्पन्नता , भौतिक सामग्री की प्रचुर उपलब्धता ,एंव किसी व्यक्ति की प्रशंसा भी अहंकार के कारण हो सकते हैं| जिस प्रकार लोहे का कवच मानव शरीर की रक्षा करता है उसी प्रकार आशीर्वाद एक गुप्त मानसिक कवच हैआशीर्वाद हमें शक्ति का सही दिशा मे उपयोग करना सिखाता है |


आशीर्वाद हमारी शक्ति का छिपा केन्द्र है !

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